पेंटोग्राफ: आज के इस समय में अगर आपको एक जगह से दूसरी जगह जाना है तो इसके लिए सबसे अच्छा साधन ट्रेन है। ट्रेन में बहुत सी ऐसी चीजें होती हैं जिनके बारे में हमें ज्यादातर पता तक नहीं होता है। ट्रेन के इंजन में लगा पेंटोग्राफ एक महत्वपूर्ण उपकरण है जो बिजली की आपूर्ति को सुचारू रखने में मदद करता है। इस लेख में, हम पेंटोग्राफ के कार्य, उसके महत्व और इसके कार्य करने के तरीके के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
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विद्युतग्राही या पेंटोग्राफ क्या है?
पेंटोग्राफ की संरचना और कार्यप्रणाली को समझना अत्यंत आवश्यक है, ताकि हम यह जान सकें कि यह ट्रेन के संचालन में कितना महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, ट्रेन की गति और उसके वजन का pantograph पर क्या प्रभाव पड़ता है, इसे भी जानना चाहिए। इसके अलावा, pantograph के विभिन्न प्रकार और उनके उपयोग के बारे में भी जानकारी होना चाहिए।
हमारी जो ट्रेन है वह इलेक्ट्रिक से चलती है। रेलवे ट्रैक के ऊपर इलेक्ट्रिक के तार लगे होते हैं। इन तारों से इलेक्ट्रिक लेने के लिए ट्रेन में एक एंटीना जैसा इलेक्ट्रिक रिसीवर होता है जिसे पेंटोग्राफ या विद्युतग्राही कहते हैं। पेंटोग्राफ की रचना इस तरह की जाती है कि यह बिजली के तार के संपर्क में रह सके, चाहे ट्रेन की गति कितनी भी तेज क्यों न हो। इसके बिना, ट्रेन को बिजली की आपूर्ति नहीं मिल पाएगी और ट्रेन का संचालन प्रभावित होगा।
ट्रेन की पटरी सभी जगह समतल नहीं होती है; कहीं ऊंचाई में तो कहीं थोड़ा नीचे रहती है। इसी कारण पेंटोग्राफ को इलेक्ट्रिक वायर से उसका कनेक्शन हट न जाए, इसके लिए उसे नीचे से एयर प्रेशर दिया जाता है। यह एयर प्रेशर पेंटोग्राफ को ऊपर-नीचे करने में मदद करता है, ताकि यह हमेशा इलेक्ट्रिक वायर के संपर्क में रह सके। Pantograph की डिज़ाइन इस तरह की होती है कि वह अपने वजन के कारण नीचे की ओर थोड़ा झुकता है, जो इसे अधिक स्थिर बनाता है।
पेंटोग्राफ या विद्युतग्राही घिसता क्यों नहीं है?
आप सभी ने यह जरूर सोचा होगा कि जब पेंटोग्राफ इतनी स्पीड में चलता है, तो यह घिसता क्यों नहीं है। इसका कारण यह है कि जो इलेक्ट्रिक वायर होता है, वह कॉपर का बना होता है और pantograph का ऊपरी हिस्सा नर्म लोहे का होता है। लोहे की नरमी पेंटोग्राफ को कुछ हद तक लचीला बनाती है, जिससे वह कॉपर वायर के साथ उचित संपर्क बनाए रखता है। इसके अलावा, pantograph का डिज़ाइन कुछ इस तरह से होता है कि वह तिरछा होकर चलता है, जिससे वह पूरे भाग में घिसता हुआ जाए।
रेल ट्रैक में लगे इलेक्ट्रिक वायर को क्या कहते हैं?
दोस्तों, जो रेलवे ट्रैक में खंभे खड़े होते हैं, उन्हें mast कहते हैं। एक खंभे से दूसरे खंभे के बीच की दूरी को span कहते हैं। इन दोनों खंभों के बीच की औसत दूरी 60 मीटर होती है, लेकिन यह दूरी मोड़ वाली जगहों पर कम हो सकती है। ऊपर वाले तार को catenary wire और नीचे वाले को contact wire कहा जाता है। इन दोनों तारों को जो जोड़कर रखता है, उसे droper कहते हैं। इन तारों का सही ढंग से काम करना pantograph के लिए बेहद आवश्यक है।
पेंटोग्राफ के Maintenance:
पेंटोग्राफ के सही तरीके से कार्य करने के लिए नियमित रूप से उसकी देखभाल आवश्यक है। इसे समय-समय पर जांचना चाहिए, और अगर कोई समस्या आती है, तो उसे तुरंत ठीक किया जाना चाहिए। पेंटोग्राफ के संपर्क वाले हिस्से में जंग लगने से भी यह सही से काम नहीं कर पाता।
Conclusion:
बहुत सारी ऐसी चीजें होती है जिनको हम रोज देखते है लेकिन उनके बारे में पता नहीं होता है। ऐसी ही हमने रेलवे की कुछ बातों को इस आर्टिकल में बताया है अगर आपको जानकारी अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों में शेयर जरूर करें। धन्यवाद
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