सरोगेसी: क्या है और यह कितने प्रकार की होती है, three parent baby का क्या मतलब है, पूरी जानकारी

सरोगेसी: दोस्तों आजकल  सभी शादीशुदा लोग मां बाप बनने का सुख चाहते हैं। सभी चाहते है कि उनके भी घर में कोई नन्हीं सी किलकारी मारे । लेकिन  कुछ शादीशुदा कपल यह सुख नहीं मिल पाता है । किसी मेडिकल problem के कारण यह असंभव हो जाता है तब काम आती है आज की टेक्नोलॉजी जो उनके इस सपने को साकार बनाते है । आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे कि सेरोगेसी क्या है और इसके द्वारा हम कैसे बच्चे का सुख ले सकते है ।

सरोगेसी ( Surrogacy) क्या है?

दोस्तों सरोगेसी एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से कोई childless couple संतान सुख की प्राप्ति कर सकता है। जब कोई महिला ऐसे दंपति ( युगल) के बच्चे को अपने पेट में पालती है जो शारीरिक या medical problem की वजह से या तो गर्भ धारण करने में या उसे पेट में पालने में असमर्थ है, तो इसे ‘सरोगेसी‘ कहा जाता है ।

सरोगेसी mother किसको कहते है ?

हम सरोगेसी को ‘किराये की कोख’ के नाम से जानते हैं क्योंकि इसमें उस महिला और दंपति के बीच agreement होता है जिसके तहत महिला बच्चे को अपनी कोख में पालती है और बच्चे के जन्म लेने के बाद वह उसे दंपति को सौंप देती है। इस तरह बच्चे को जन्म देने वाली महिला को ‘सरोगेट मदर’ कहा जाता है।

सरोगेसी के प्रकार

दोस्तों सरोगेसी को दो प्रकार से संभव बनाया जा सकता है।
1.परंपरागत सरोगेसी (Traditional Surrogacy)
2.जेस्टेशनल सरोगेसी ( Gestational
Surrogacy)

परंपरागत सरोगेसी  (Traditional Surrogacy)

परंपरागत सरोगेसी में natural और artificial fertilization किया जाता है, जिसमें बच्चे के पिता के शुक्राणुओं (sperms) का सरोगेट माता के अंडाणुओं ( egg cells) के साथ fertilization कराया जाता है, जिसकी वजह से जन्म लेने वाले बच्चों का जेनेटिक रूप से संबंध अपने पिता और सरोगेट माता के साथ होता है।

लेकिन यदि इस प्रक्रिया के लिये Donor Sperm का प्रयोग किया जाता है तो जन्म लेने वाले का संबंध अपने पिता से तो नहीं होगा, लेकिन सरोगेट मदर से होगा। इसलिये इस तरीके को अपनाने के लिये पिता के sperms का इस्तेमाल बेहतर समझा जाता है।

जेस्टेशनल सरोगेसी ( Gestational
Surrogacy):

दोस्तों इस प्रक्रिया के अंतर्गत जन्म लेने वाले बच्चे के माता-पिता के अंडाणु व शुक्राणुओं (sperms ) का IVF टेक्नोलॉजी के जरिये मेल करवाकर भ्रूण (fetus) को सरोगेट मदर के गर्भाशय (uterus) में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है,जिसके परिणामस्वरूप जन्म लेने वाले बच्चे का जेनेटिक संबंध अपने माता-पिता दोनों से होता है। लेकिन इस विधि के द्वारा जन्म लेने वाले बच्चे का कोई भी संबंध सरोगेट मदर से नहीं होता है।

सरोगेसी की सुविधा कुछ विशेष एजेंसियों द्वारा उपलब्ध करवाई जाती है। इन एजेंसियों को ‘ART Clinics‘ कहा जाता है, जो इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के guidelines को फॉलो करती हैं।

भारत के law commission की 228वीं रिपोर्ट में commercial सरोगेसी के prohibition और appropriate legislative action द्वारा ethical altruistic surrogacy की अनुमति की सिफारिश की गई है।

Three Parent Baby Technology/Mitochondrial Replacement Therapy)
  • Three parant baby ‘ अर्थात् वह बच्चा जिसमें DNA का अधिकांश भाग उसके माता एवं पिता से आता है तथा कुछ भाग किसी महिला प्रदाता से प्राप्त होता है। Three parent baby टेक्नोलॉजी को IVF टेक्नोलॉजी का ही विकसित रूप माना जा सकता है। इसके अंतर्गत पिता के शुक्राणु के साथ माता के अंडाणु एवं एक अन्य महिला (Donor) के अंडाणु को शामिल किया जाता है।
  • Three parent baby टेक्नोलॉजी में माता के खराब माइटोकॉण्ड्रिया (Defective Mitochondria) को दाता (Donor) महिला के स्वस्थ Mitochondria के द्वारा बदला जाता है। उसके बाद इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) तकनीक के द्वारा अंडाणु (Ovum) को सहयोगी के शुक्राणु (Sperm) के साथ fertilization करवाकर प्राप्त युग्मनज (Zygote) का प्रारंभिक भ्रूणीय (embryonic) विकास आरंभ कराया जाता है तथा भ्रूण (fetus) को माता या सरोगेट मदर के गर्भ में स्थानांतरित कर दिया जाता है।
  • इस टेक्नोलॉजी का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे defective माइटोकॉण्ड्रियल DNA को सही किया जा सकता है तथा स्वस्थ बच्चे के जन्म को संभव बनाया जा सकता है।

विशेषताएँ

  1. Three parent baby टेक्नोलॉजी की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसके माध्यम से defective Mitochondria जैसी समस्या से बचा जा सकता है।
  2. Defective Mitochondria के कारण कई अन्य बीमारियाँ (Muscular Dystrophy, Leigh Syndrome आदि) भी उत्पन्न हो जाती हैं। जैसा कि सभी को पता है कि प्रत्येक वर्ष बड़ी संख्या में बच्चे defective माइटोकॉण्ड्रियल DNA के साथ जन्म लेते हैं।
  3. यह टेक्नोलॉजी माइटोकॉण्ड्रियल (जेनेटिक) बीमारी को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में transfer से रोकती है।
  4. माइटोकॉण्ड्रिया को ‘कोशिका का पावर हाउस‘ कहा जाता है।
निष्कर्ष:

दोस्तों सभी शादीशुदा couple माता पिता बनने का सपना रहता लेकिन कुछ मेडिकल problem की वजह से यह सम्भव नहीं हो पाता है लेकिन आजकल की कुछ ऐसी टेक्नोलॉजी आ गई है जिसमें अब सबकुछ संभव है। दोस्तों अगर आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों में शेयर जरूर करे।

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