हवाई जहाज में ब्लैक बॉक्स क्या होता है ? आखिर यह इतना खास क्यों है?

ब्लैक बॉक्स:दोस्तों अभी हाल ही में अभी अहमदाबाद में हुए प्लेन क्रैश ने सभी के दिलों को झकझोर के रख दिया है । जब से सभी लोग यह जानना चाहते है कि ब्लैक बॉक्स क्या होता है। दोस्तों सभी को लगता है यह ऐसा कौन सा उपकरण है जो उस समय जहाज में हुए घटना की पूरी जानकारी इकठ्ठा रखता है । ब्लैक बॉक्स कैसे काम करता है और क्या सच में यह ब्लैक होता है । इस आर्टिकल में हम विस्तार से जानेंगे कि ब्लैक बॉक्स क्या होता है।

ब्लैक बॉक्स क्या होता है ?

दोस्तों ब्लैक बॉक्स एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होता है जो प्लेन के अंदर की सभी प्रकार की सूचनाएं रिकॉर्ड करता है। इसका असली नाम Flight Data Recorder ( FDR) और Cockpit voice recorder ( CVR ) होता है। ये दोनों मिलकर ‘ब्लैक बॉक्स’ कहलाते हैं। यह विमान में होने वाली सभी इम्पोर्टेंट गतिविधि को रिकॉर्ड करता है – जैसे पायलट की बातचीत, प्लेन की स्पीड, ऊँचाई, इंजन की स्थिति, और अन्य तकनीकी जानकारी।

क्या वास्तव में ब्लैक बॉक्स का रंग काला होता है?

दोस्तों आपको लगता होगा ब्लैक बॉक्स का रंग काला होता है लेकिन ऐसा भी है इसका नाम से भले ही “ब्लैक बॉक्स” है, लेकिन इसका रंग काला नहीं बल्कि चमकीला नारंगी होता है। ऐसा इसलिए होता है ताकि दुर्घटना के बाद मलबे में से इसे आसानी से खोजा जा सके। यह बहुत मजबूत धातु से बना होता है जिससे यह अत्यधिक तापमान, दबाव और टक्कर को सहन कर सके।

ब्लैक बॉक्स के मुख्य भाग

ब्लैक बॉक्स के दो मुख्य पार्ट होते हैं:

  1. फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR)
    यह प्लेन की उड़ान से जुड़ी तकनीकी जानकारियां रिकॉर्ड करता है, जैसे:
  • गति (Speed)
  • ऊँचाई (Altitude)
  • इंजन की स्थिति
  • रडार की दिशा
  • स्वचालित नियंत्रण प्रणाली (Autopilot) की स्थिति
  1. कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR)
    यह कॉकपिट में बैठे पायलटों की बातचीत और सभी तरह की ध्वनियों को रिकॉर्ड करता है। इससे हमें यह जानकारी मिलती है कि दुर्घटना से ठीक पहले पायलट ने क्या मैसेज दिया था और क्या कर रहे थे तथा क्या सोच रहे थे।

ब्लैक बॉक्स काम कैसे करता है ?

दोस्तों ब्लैक बॉक्स जो होता है वह हर सेकंड डेटा रिकॉर्ड करता है। आमतौर पर इसमें पिछली 25 घंटों की उड़ान का डेटा सुरक्षित रहता है। कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर में आमतौर पर 2 घंटे की ध्वनि रिकॉर्डिंग इकठ्ठा रहती है। ये डेटा रिकॉर्डिंग एक डिजिटल मेमोरी यूनिट में की जाती है जो बहुत ही सुरक्षित और टिकाऊ होती है।

इन में कई माइक्रोफोन लगे होते हैं जो पायलटों की बातचीत, इंजन की आवाजें, चेतावनी सायरन और अन्य ध्वनियों को पकड़ते हैं। जब विमान दुर्घटना ग्रस्त होता है, तो विशेषज्ञ ब्लैक बॉक्स को ढूंढकर उसमें इकट्ठे डेटा का एनालिसिस करते हैं जिससे यह समझा जा सके कि दुर्घटना कैसे और क्यों हुई।

ब्लैक बॉक्स की खासियत क्या है ?

  • अत्यधिक तापमान सहन करने की क्षमता:
    ब्लैक बॉक्स को 1100 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में भी सुरक्षित रखा जा सकता है।
  • पानी में कार्य करने की क्षमता:
    यह डिवाइस 30 दिनों तक समुद्र की गहराई में भी डेटा सुरक्षित रख सकता है। इसमें एक ‘अंडरवाटर लोकेटर बीकन’ होता है जो पानी के भीतर लगातार सिग्नल भेजता है जिससे खोजकर्ता इसे खोज सकें।
  • दबाव में भी काम करता है:
    यह अत्यधिक दबाव में भी बिना खराब हुए काम कर सकता है। टकराव के समय होने वाले दबाव को यह सहन कर लेता है।

ब्लैक बॉक्स क्यों है इतना महत्वपूर्ण

दोस्तों ब्लैक बॉक्स किसी भी विमान दुर्घटना की जांच का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। इसके बिना यह जान पाना लगभग असंभव होता है कि विमान क्यों क्रैश हुआ। ब्लैक बॉक्स में इकट्ठे डेटा से पता लगाया जा सकता है ।इसके माध्यम से प्लेन को बनाने वाली कंपनियाँ अपनी तकनीकों में सुधार करती हैं और एविएशन सेफ्टी को बेहतर बनाती हैं

आधुनिक तकनीकों के साथ ब्लैक बॉक्स का विकास

आज के समय में ब्लैक बॉक्स भी अत्याधुनिक बनते जा रहे हैं। कई विमान कंपनियाँ अब ‘क्लाउड आधारित डेटा ट्रांसमिशन’ की ओर बढ़ रही हैं, जिससे कि उड़ान के डेटा को रीयल टाइम में ही save किया जा सके। इससे दुर्घटना के बाद ब्लैक बॉक्स को खोजने की आवश्यकता कम हो जाएगी क्योंकि डेटा पहले से ही सर्वर पर मौजूद होगा।

निष्कर्ष ( Conclusion ) :

दोस्तों ब्लैक बॉक्स प्लेन में बहुत ही इम्पोर्टेंट डिवाइस होती है। इसका उपयोग तब बढ़ जाता है जब कोई प्लेन क्रैश होता है जैसे हाल ही में हुए अहमदाबाद प्लेन क्रैश में ।हवाई यात्रा को सुरक्षित और बेहतर बनाने में ब्लैक बॉक्स की भूमिका अतुलनीय है। इसकी मदद से हजारों लोगों की जान बचाई जा सकती है और भविष्य की उड़ानों को और सुरक्षित बनाया जा सकता है।

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